Family Tree

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फैमिली से साथ याद आता है | सबका साथ आना याद आता है | साथ रहना याद आता है | | यह चित्रकथा साथ आने से बनने वाली फैमिली के चित्रों से बनती चलती है |
साथ साथ जैसा ही दिखता है | साथ का एक जैसे या अलग-अलग दिखने या आदत रखने वालों से लेना-देना हो, ऐसा नहीं होता | साथ में तो शायद सबके रंगों से मिलकर एक रंग बन जाता है | शायद उसी तरह जैसे कि इस किताब में  प्रोइति रॉय के चित्र और उन चित्रों के साथ आने से यह कहानी | शुरूआती पाठकों के लिए एक वर्डलैस पिक्चर स्टोरी | चित्र जो शब्दों के 'कुत्ते', 'गाय' और 'गिलहरी' से आगे बढ़कर साथ की भाषा बरतते हैं, बनाते हैं। 

एक पेड़ तले बुद्ध का चित्र हमारी स्मृति में है। जहाँ बुद्ध के चारों ओर कितने ही जीव निर्भय बैठे हैं। इस किताब का समूह चित्र इसी चित्र की याद दिलाता है। कि कैसे यह दुनिया सबकी है और प्रेम ही इस बात की तरफ जाने का शायद एक मात्र रास्ता है। 

प्रोइति रॉय का प्रकृति प्रेम इस किताब में झाँक झाँक उठता है। चित्रों की रेखाएँ सुकोमल, उदार, लचीली हैं।  हरेक जीव इतना सँवरा लगता है कि उन्होंने अभी अभी अपनी हथेली फेरकर उसे दुलारा है। 

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Age
Age 3+
Book Details
Author Proiti Roy
Illustrator Proiti Roy
Publisher Jugnoo Prakashan, an imprint of Ektara Trust
Year 2025
Binding Paperback
ISBN 978-81-97063-81-7
Language Hindi
No. of Pages 20
Size 6×6 inches
Colour Black & White

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Tags: Book, Picture Book, Fiction, Proiti Roy, Wordless Picture Book, Family Tree

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